ये जो गहरी खामोशियाँ हैं
कुछ तुम सी हैं
रातों के कठिन पहर में बेबकियाँ हैं
कुछ कभी न पूरे होने वाले लेकिन अकल्पनीय विचार हैं
औंधे मुँह किये हुए कश्मकश का संज्ञान हैं
तुमसे इतर कुछ विचार गढ़ें ही नही गए
तुमसे इतर कुछ और सोचा ही नहीं गया
कँपकपी पैदा करती तुम्हारी मुस्कुराहटें हैं
तुम्हारी छुवन की कुछ आहटें हैं
हर पल बहते अश्कों का सूखना है
जिंदगी की इस डगर में अकेले ही जीना है
तुम्हारी कमीं में हर पल मरना है
मोहब्बत के इसरार की घुटन है
हर कुछ कर के भी कुछ न कर पाने का खेद है
कुछ तुम सी हैं
रातों के कठिन पहर में बेबकियाँ हैं
कुछ कभी न पूरे होने वाले लेकिन अकल्पनीय विचार हैं
औंधे मुँह किये हुए कश्मकश का संज्ञान हैं
तुमसे इतर कुछ विचार गढ़ें ही नही गए
तुमसे इतर कुछ और सोचा ही नहीं गया
कँपकपी पैदा करती तुम्हारी मुस्कुराहटें हैं
तुम्हारी छुवन की कुछ आहटें हैं
हर पल बहते अश्कों का सूखना है
जिंदगी की इस डगर में अकेले ही जीना है
तुम्हारी कमीं में हर पल मरना है
मोहब्बत के इसरार की घुटन है
हर कुछ कर के भी कुछ न कर पाने का खेद है
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